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पाठ 16:
अंतरिक्ष से स्वर्गदूत
के संदेश

स्वर्गदूत असली हैं! कभी-कभी करूब या सेराफिम कहे जाने वाले, ये शक्तिशाली सेवकाई करने वाली आत्माएँ बाइबल के इतिहास में हमेशा दिखाई देती हैं। अक्सर उन्हें परमेश्वर के लोगों की रक्षा और मार्गदर्शन करते हुए देखा जाता है, और कभी-कभी वे दुष्टों को दण्ड देते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य भविष्यवाणियों को प्रकट करना और उनकी व्याख्या करना है। क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूतों के माध्यम से हमारी व्यस्त दुनिया के तनावग्रस्त लोगों से कुछ खास कहा है? प्रकाशितवाक्य 14 में, वह इन अंतिम दिनों के लिए अद्भुत संदेश प्रकट करते हैं, जो तीन उड़ते हुए स्वर्गदूतों के प्रतीकात्मक अर्थ में निहित हैं। ये संदेश इतने महत्वपूर्ण हैं कि यीशु तब तक वापस नहीं आएंगे जब तक ये सभी संदेश पूरे नहीं हो जाते! यह अध्ययन मार्गदर्शिका आपको एक आश्चर्यजनक अवलोकन प्रदान करेगी, और निम्नलिखित आठ अध्ययन मार्गदर्शिकाएँ अविश्वसनीय विवरण प्रस्तुत करेंगी। तैयार हो जाइए! परमेश्वर का आपके लिए व्यक्तिगत संदेश अब समझाया जाने वाला है!

1. हम प्रकाशितवाक्य का अध्ययन क्यों कर रहे हैं? क्या यह मुहरबंद नहीं है?

 

उत्तर:  प्रकाशितवाक्य का अध्ययन करने के छह महत्वपूर्ण कारण हैं:

उ. इस पर कभी मुहर नहीं लगाई गई (प्रकाशितवाक्य 22:10)। मसीह और शैतान के बीच सदियों से चले आ रहे विवाद, साथ ही शैतान की अंतिम दिनों की रणनीतियों का खुलासा प्रकाशितवाक्य में किया गया है। शैतान उन लोगों को आसानी से फँसा नहीं सकता जो उसके छल-कपट से पहले से वाकिफ हैं, इसलिए वह उम्मीद करता है कि लोग मान लेंगे कि प्रकाशितवाक्य पर मुहर लगा दी गई है।

 

ख. "प्रकाशित" का अर्थ "प्रकट करना,” “प्रकाश में लाना,” या “खुलासा" - मुहरबंद के विपरित है। यह हमेशा खुला रहा है।

 

ग. प्रकाशितवाक्य एक अद्वितीय तरीके से यीशु की किताब है। यह शुरू होता है, “यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य" से (प्रकाशितवाक्य 1:1) | प्रकाशितवाक्य 1:13-16 में भी यह उसका शब्दित चित्र देता है। कोई अन्य बाइबल पुस्तक यीशु और आखिरी दिन के लिए उसके निर्देशों, और उसके कार्यों की योजनाओं और उसके लोगों के लिए प्रकाशितवाक्य के जैसे प्रगट नहीं करती है।

घ. प्रकाशितवाक्य मुख्य रूप से यीशु के लौटने से पहले हमारे दिन के लोगों के लिए लिखा गया है और प्रकाशित किया गया है (प्रकाशितवाक्य 1:1-3; 3:11; 22:6, 7, 12, 20)।

ङ. उन लोगों के लिएएक विशेष आशीर्वाद घोषित किया गया है जो प्रकाशितवाक्य पढ़ते हैं और इसकी सलाह पर ध्यान देते हैं (प्रकाशितवाक्य 1:3; 22:7)।

च. प्रकाशितवाक्य परमेश्वर के अंत समय के लोगों (उसकी कलीसिया) को चौंकाने वाली स्पष्टता के साथ वर्णन करता है। जब आप प्रकाशितवाक में दिखाए गए आखिरी दिन की घटनाओं को देखते हैं तो यह बाइबल को जीवंत कर देता है। यह भी बताता है कि अंतिम दिनों में परमेश्वर की कलीसिया को किस प्रकार से प्रचार करना चाहिए (प्रकाशितवाक्य 14:6-14)। यह संदर्शिका उस प्रचार की एक समीक्षा है ताकि जब आप इसे सुन तो आप इसे पहचान सकते हैं।

नोटः आगे बढ़ने से पहले, कृपया प्रकाशितवाक्य 14:6-14 पढ़िए ।

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2. परमेश्वर ने अपनी कलीसिया को हर प्राणी तक सुसमाचार पहुँचाने का आदेश दिया (मरकुस 16:15)। प्रकाशितवाक्य में वह इस पवित्र कार्य का प्रतीक कैसे प्रस्तुत करता है?

फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास सनातन सुसमाचार था। … फिर एक और स्वर्गदूत यह कहता हुआ उसके पीछे आया। … फिर एक तीसरा स्वर्गदूत उनके पीछे यह कहता हुआ आया… (प्रकाशितवाक्य 14:6, 8, 9)।

 

उत्तर:  स्वर्गदूत शब्द का शाब्दिक अर्थ है संदेशवाहक, इसलिए यह उचित ही है कि परमेश्वर अंतिम दिनों के लिए अपने तीन-सूत्रीय सुसमाचार संदेश के प्रचार के प्रतीक के रूप में तीन स्वर्गदूतों का उपयोग करता है। परमेश्वर स्वर्गदूतों के प्रतीकवाद का उपयोग हमें यह याद दिलाने के लिए करता है कि इन संदेशों के साथ अलौकिक शक्ति भी होगी।

3. प्रकाशितवाक्य 14:6 अंतिम दिनों के लिए परमेश्वर

के संदेश के बारे में कौन से दो महत्वपूर्ण मुद्दे

प्रकट करता है?

 

 

फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के

रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन

सुसमाचार था (प्रकाशितवाक्य 14:6)।

उत्तर:  दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं: (1) यह सनातन सुसमाचार है, और (2) इसका प्रचार पृथ्वी पर प्रत्येक

व्यक्ति को किया जाना चाहिए। तीन स्वर्गदूतों के संदेश सुसमाचार पर ज़ोर देते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता

है कि लोग केवल यीशु मसीह में विश्वास और उसे स्वीकार करने से ही बचाए जाते हैं (प्रेरितों के काम 4:10-12; यूहन्ना 14:6)। चूँकि उद्धार का कोई और मार्ग मौजूद नहीं है, इसलिए यह दावा करना बुरा है कि कोई और मार्ग है।

 

शैतान के नकली रूप
शैतान के नकली रूप, हालाँकि अनेक हैं, उनमें दो अत्यंत प्रभावशाली रूप शामिल हैं: (1) कर्मों द्वारा उद्धार, और (2) पाप में उद्धार। ये दो नकली रूप तीन स्वर्गदूतों के संदेशों में उजागर और प्रकट होते हैं। बहुत से लोग, अनजाने में, इन दो त्रुटियों में से एक को अपना चुके हैं और अपने उद्धार को इस पर आधारित करने का प्रयास कर रहे हैं - एक असंभव कार्य। हमें इस बात पर भी ज़ोर देना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अंत समय के लिए यीशु के सुसमाचार का सही मायने में प्रचार नहीं कर रहा है जिसमें तीन स्वर्गदूतों के संदेश शामिल नहीं हैं।

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4. पहले स्वर्गदूत के संदेश में कौन-से चार खास मुद्दे शामिल हैं?

                                                                         

और ऊंचे शब्द से कहा, 'परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है; और उसका भजन करो, जिस ने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए'

(प्रकाशितवाक्य 14:7)।

 

उत्तरः

क. परमेश्वर से डरो। इसका मतलब है कि हमें परमेश्वर का सम्मान करना चाहिए और उसे प्रेम, विश्वास और सम्मान के साथ उसकी उसकी इच्छा पूर्ण करने के लिए उत्सुक होना चाहिए। यह हमें बुराई से बचाता है। “यहोवा के भय मानने के द्वारा मनुष्य बुराई करने से बच जाते हैं" (नीतिवचन 16:6)। बुद्धिमान व्यक्ति सुलैमान ने यह भी कहा, “परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का [सम्पूर्ण कर्तव्य ] यही है" (सभोपदेशक 12:13)।

ख. उसकी महीमा करो। जब हम उसकी भलाई के लिए परमेश्वर की प्रशंसा करते हैं, उसे धन्यवाद देते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, तो हम इस आदेश को पूरा करते हैं। आखिरी दिनों के प्रमुख पापों में से एक है, धन्यवादी न होना (2 तीमुथियुस 3:1, 2) है।

 

ग. उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है। यह इशारा करता है कि हर कोई परमेश्वर के सामने उत्तरदायी है, और यह एक स्पष्ट बयान है कि न्याय चल रहा है। कई अनुवाद “आया हैं” के बजाए “आ पहुँचा है" कहते हैं (इस न्याय का पूरा विवरण अध्ययन संदर्शिका 18 और 19 में दिया गया है)

 

घ. उसकी उपासना करो। यह आज्ञा सभी प्रकार की मूर्तिपूजा को अस्वीकार करता है जिसमें आत्म-स्तुति शामिल है - और क्रमिक विकास प्रक्रिया के सिद्धांत को अस्वीकार करता है, जो इस बात से इनकार करता है कि परमेश्वर सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता है। (कई किताबें और कार्यक्रम आत्मसम्मान पर जोर देते हैं, जो आत्म-स्तुति का कारण बन सकते हैं। मसीहियों को मसीह में अपना मूल्य मिलता है, जो हमें परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियाँ बनाता है।)

 

सुसमाचार में प्रभु परमेश्वर द्वारा पृथ्वी की सृष्टि और उद्धार शामिल है। सृष्टिकर्ता की स्तुति करने में उसकी उपासना उस दिन (सातवें दिन का सब्त) करना शामिल है जिस दिन को उसने सृष्टि के यादगारी के रूप में अलग कर के रखा था। और यह कि प्रकाशितवाक्य 14:7 सातवें दिन सब्त को संदर्भित करता है इस तथ्य से स्पष्ट किया गया है कि शब्द “स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र" निर्गमन 20:11 के सब्त आज्ञा से लिए गए हैं। (सब्त के बारे में अधिक जानकारी के लिए अध्ययन संदर्शिका 7 देखें।) हमारी जड़ें अकेले परमेश्वर में पाई जाती हैं, जिन्होंने हमें शुरुआत में अपने स्वरूप में बनाया था। जो लोग परमेश्वर की स्तुति सृष्टिकर्ता के रूप में नहीं करते हैं- उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किसकी स्तुति करते हैं-और वे कभी अपनी जड़ें नहीं खोज पाएँगे।

5. दूसरा स्वर्गदूत बाबुल के बारे में क्या गंभीर बात कहता है?

प्रकाशितवाक्य 18 का स्वर्गदूत परमेश्‍वर के लोगों से क्या

करने का आग्रह करता है?

उसके बाद एक और स्वर्गदूत आया जो कहता था, 'बाबुल गिर गया है' (प्रकाशितवाक्य 14:8)।

मैंने एक और स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा। … और उसने ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा, 'बड़ा बाबुल गिर गया है।' …

और मैंने स्वर्ग से एक और शब्द सुना, 'हे मेरे लोगो, उसमें से निकल आओ' (प्रकाशितवाक्य 18:1, 2, 4)।

उत्तर:  दूसरा स्वर्गदूत कहता है कि बाबुल गिर गया है, और स्वर्ग से आवाज़ आती है कि परमेश्वर के सभी लोग तुरंत बाबुल से बाहर निकल आएँ ताकि वे उसके साथ नाश न हो जाएँ। अगर आप बाबुल के बारे में नहीं जानते, तो आप आसानी से उसमें रह सकते हैं। ज़रा सोचिए, आप अभी बाबुल में हो सकते हैं! (अध्ययन मार्गदर्शिका 20 बाबुल का स्पष्ट परिचय देती है।)

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6. तीसरे स्वर्गदूत का संदेश किस बात के विरुद्ध गंभीर चेतावनी देता है?

 

 

उनके पीछे एक तीसरा स्वर्गदूत आया, जो ऊंचे शब्द से कहता हुआ आया, 'यदि कोई उस पशु और उसकी मूरत की पूजा करे, और अपने माथे या हाथ पर उसकी छाप ले, तो वह आप भी परमेश्वर के प्रकोप की मदिरा पीएगा' (प्रकाशितवाक्य 14:9, 10)।

उत्तर:  तीसरे स्वर्गदूत का संदेश लोगों को पशु और उसकी मूर्ति की पूजा करने और अपने माथे या हाथ पर पशु की छाप लगवाने से आगाह करता है। पहला स्वर्गदूत सच्ची उपासना का आदेश देता है। तीसरा स्वर्गदूत झूठी उपासना से जुड़े दुखद परिणामों के बारे में बताता है। क्या आप निश्चित रूप से जानते हैं कि वह पशु कौन है? और उसकी छाप क्या है? अगर आप नहीं जानते, तो आप अनजाने में ही पशु की पूजा करने लग सकते हैं। (अध्ययन मार्गदर्शिका 20 पशु और उसकी छाप के बारे में पूरी जानकारी देती है। अध्ययन मार्गदर्शिका 21 उसकी छवि के बारे में बताती है।)

7. प्रकाशितवाक्य 14:12 में परमेश्वर अपने लोगों के बारे

में कौन सा चार-सूत्रीय वर्णन देता है जो तीन स्वर्गदूतों के

संदेशों को स्वीकार करते हैं और उनका पालन करते हैं?

 

"पवित्र लोगों का धीरज इसी में है, जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते और यीशु पर विश्वास रखते हैं"

प्रकाशितवाक्य 14:12)।

 

उत्तरः

क. वे धीरज रखते हैं, दृढ़ रहते हैं, और अंत तक वफादार होते हैं। परमेश्वर के लोग उसे अपने धीरज, प्रेमपूर्ण आचरण और उनके जीवन में पवित्रता के प्रति अपनी वफ़ादारी से प्रकट करते हैं।

ख. वे संत हैं, या "पवित्र लोग” हैं क्योंकि वे पूरी तरह से परमेश्वर के पक्ष में हैं।

ग. वे परमेश्वर के आदेशों को मानते हैं। ये वफादार लोग खुशी से उसकी दस आज्ञाओं और अन्य सभी आज्ञाओं का पालन करते हैं। उनका पहला उद्देश्य उसको प्रसन्न करना है, जिससे वे प्रेम करते हैं (1 यूहन्ना 3:22)। (अध्ययन संदर्शिका 6 दस आज्ञाओं पर अधिक जानकारी देती है।)

घ. उनके पास यीशु का विश्वास है। इसका अनुवाद “यीशु में विश्वास" भी किया जा सकता है। किसी भी मामले में, परमेश्वर के लोग पूरी तरह से यीशु का अनुसरण करते हैं और पूरी तरह से भरोसा करते हैं।

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8. तीन स्वर्गदूतों द्वारा सभी लोगों को संदेश देने के तुरंत बाद क्या होता है?

फिर मैंने दृष्टि की, और देखो, एक सफेद बादल है, और उस बादल पर मनुष्य के पुत्र सदृश कोई बैठा है, जिसके सिर पर सोने का मुकुट है (प्रकाशितवाक्य 14:14)।

उत्तर:  तीन स्वर्गदूतों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को संदेश दिए जाने के तुरंत बाद, यीशु अपने लोगों को उनके स्वर्गीय घर ले जाने के लिए बादलों में लौटेंगे। उनके प्रकट होने पर, प्रकाशितवाक्य अध्याय 20 का महान 1,000-वर्षीय अंधकार शुरू होगा। (अध्ययन मार्गदर्शिका 12 इन 1,000 वर्षों के बारे में बताती है। अध्ययन मार्गदर्शिका 8 यीशु के दूसरे आगमन का विवरण देती है।)

9. 2 पतरस 1:12 में प्रेरित पतरस वर्तमान सत्य की बात करता है। उसका क्या मतलब है?

               

                                                     

उत्तरः वर्तमान सत्य अन्नत सुसमाचार का एक पहलू है जिसमें एक निश्चित समय के लिए तुरंत कार्यवाही की आवश्यकता होती है। कुछ उदाहरण हैं:

 

क. नूह का जलप्रलय का संदेश (उत्पत्ति 6 और 7; 2 पतरस 2:5)। नूह धार्मिकता का प्रचारक था। उसने

परमेश्वर के प्रेम को सिखाया क्योंकि उसने आने वाली बाढ़ की चेतावनी दी जो दुनिया को नष्ट कर देती। उस समय के लिए बाढ़ का संदेश “वर्तमान सत्य” था। इसकी पुकार थी "नाव में आ जाओ।" और यह इतना महत्वपूर्ण था कि इस बात का प्रचार न करना गैर जिम्मेदार होना होता।

 

ख. योना का संदेश नीनवे शहर के लिए था। (योना 3:4) योना की "वर्तमान सच्चाई" यह थी कि नीनवे को 40 दिनों में नष्ट कर दिया जाता। योना ने उद्धारकर्ता की स्तुति की, और नगर ने पश्चाताप किया। 40 दिन की चेतावनी को छोड़ना अविश्वास होगा। यह वर्तमान सच था। यह उस समय एक विशेष तरीके से सटीक था।

 

ग. यूहन्ना, बपतिस्मा देने वाले, का संदेश (मत्ती 3:1-3; लुका 1:17)। यूहन्ना की “वर्तमान सच्चाई" यह थी कि यीशु, मसीहा, प्रकट होने वाला था। उनका काम सुसमाचार प्रस्तुत करना और यीशु के प्रथम आगमन से पहले लोगों को तैयार करना था। उसके सुसमाचार से प्रथम आगमन के संदेश को हटाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।

 

घ . तीन स्वर्गदूतों के संदेश (प्रकाशितवाक्य 14:6-14)। आज के लिए परमेश्वर का “वर्तमान सत्य" तीन स्वर्गदूतों के संदेशों में मिलता है। निश्चित ही, अकेले यीशु मसीह के माध्यम से उद्धार, इन संदेशों के लिए केंद्रीय बिंदु है। जबकि, तीन स्वर्गदूतों का "वर्तमान सत्य", भी यीशु के दूसरे आगमन के लिए लोगों को तैयार करने और शैतान के अत्यधिक धोका देने वाले दृढ़ विश्वासों पर अपनी आंखें खोलने के लिए दिया गया है। जब तक लोग इन संदेशों को समझ नहीं लेते, शैतान उन्हें पकड़ कर नष्ट कर सकता है। यीशु जानता था कि हमें इन तीन विशेष संदेशों की आवश्यकता है, इसलिए दया से उसने सन्देश ये दिए हैं। उन्हें मिटाया नहीं जाना चाहिए। कृपया गम्भीरतापूर्वक प्रार्थना करें जैसे आप अगले आठ अध्ययन संदर्शिकाओं में तर्क पर तर्क उनकी जाँच करते हैं।

आपके कुछ खोज चौंकाने वाली हो सकते हैं। लेकिन सभी संतुष्ट करने वाली होगी। आपका दिल जबरदस्त उत्तेजित हो जाएगा। आप समझेंगे कि यीशु आपसे बात कर रहा है! आखिरकार, वे उनके संदेश हैं।

10. बाइबल के अनुसार प्रभु के महान दिन से पहले वर्तमान सत्य का संदेश देने कौन आएगा?

 

 

देखो, मैं प्रभु के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले तुम्हारे पास एलिय्याह भविष्यद्वक्ता को भेजूंगा (मलाकी 4:5)।

उत्तर: एलिय्याह नबी। एलिय्याह और उसके संदेश में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जैसा कि हम अगले कुछ प्रश्नों में देखेंगे।

11. एलिय्याह ने ऐसा क्या किया जिससे यहोवा का ध्यान उस पर गया?

                   

                                                         

नोट: कृपया 1 राजा 18:17-40 पढ़ें।

उत्तर:  एलिय्याह ने लोगों से आग्रह किया कि वे तय करें कि वे किसकी सेवा करेंगे (पद 21)। राष्ट्र लगभग पूरी तरह से मूर्तिपूजक था। अधिकांश लोगों ने सच्चे परमेश्वर और उसकी आज्ञाओं को त्याग दिया था। परमेश्वर का एक नबी, एलिय्याह, और बाल के 450 मूर्तिपूजक नबी थे (पद 22)। एलिय्याह ने सुझाव दिया कि वह और मूर्तिपूजक दोनों वेदियाँ बनाएँ और उन पर लकड़ी और एक बैल रखें। फिर उसने सुझाव दिया कि वे सच्चे परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह अपनी वेदी में आग लगाकर स्वयं को प्रकट करे। मूर्तिपूजक देवता ने कोई उत्तर नहीं दिया, लेकिन एलिय्याह के सच्चे परमेश्वर ने स्वर्ग से आग भेजी और एलिय्याह के बलिदान को भस्म कर दिया।

संदेश ने एक निर्णय की माँग की।
एलिय्याह का संदेश ऐसे समय में आया जब गहरा आध्यात्मिक संकट और राष्ट्रीय धर्मत्याग व्याप्त था। यह स्वर्ग से इतनी शक्ति के साथ आया कि इसने सामान्य कामकाज को रोक दिया और राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। फिर एलिय्याह ने लोगों से आग्रह किया कि वे तय करें कि वे किसकी सेवा करेंगे, परमेश्वर की या बाल की। ​​गहराई से प्रभावित और पूरी तरह से आश्वस्त होकर, लोगों ने परमेश्वर को चुना (पद 39)।

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12. एलिय्याह के संदेश के दो अर्थ हैं। यह लोगों को यीशु के प्रथम आगमन के लिए तैयार करने हेतु वर्तमान सत्य का संदेश था और लोगों को उनके द्वितीय आगमन के लिए तैयार करने हेतु वर्तमान सत्य का संदेश था। यीशु के अनुसार, एलिय्याह के संदेश का प्रचार किसने किया ताकि लोग उनके प्रथम आगमन के लिए तैयार हो सकें?

 

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बड़ा कोई नहीं हुआ। ... और यदि तुम इसे ग्रहण करने को तैयार हो, तो वह एलिय्याह है जो आनेवाला था (मत्ती 11:11, 14)।

 

उत्तर:  यीशु ने यूहन्ना के उपदेश को लोगों को अपने प्रथम आगमन के लिए तैयार करने हेतु एलिय्याह, या एलिय्याह का संदेश कहा। एलिय्याह के दिनों की तरह, यूहन्ना के संदेश ने सत्य को बहुत स्पष्ट किया और फिर एक निर्णय पर ज़ोर दिया। बाइबल यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में कहती है, "वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में... जाएगा..." (लूका 1:17)।

13. हम कैसे जानते हैं कि इस भविष्यवाणी का हमारे

समय पर दूसरा अनुप्रयोग है - दूसरे आगमन

से ठीक पहले?

मैं यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूँगा (मलाकी 4:5)।

यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहले सूर्य अन्धियारा हो जाएगा और चन्द्रमा रक्त सा

हो जाएगा (योएल 2:31)।

 

उत्तर: कृपया ध्यान दें कि योएल 2:31 में वर्णित प्रभु के महान और भयानक दिन के आने से पहले दो घटनाएँ घटेंगी: एक, एलिय्याह का संदेश, और दूसरा, आकाश में बड़े-बड़े चिन्ह। इससे हमें दोनों घटनाओं का पता लगाने में मदद मिलती है। वह अंधकारमय दिन 19 मई, 1780 को घटित हुआ था। उसी रात, चाँद खून जैसा दिखाई दिया। मत्ती 24:29 में एक और चिन्ह है - तारों का गिरना, जो 13 नवंबर, 1833 को हुआ था। इससे हम जानते हैं कि अंत समय का एलिय्याह का संदेश प्रभु के महान दिन के आने से पहले, 1833 के आसपास या उसके बाद शुरू होना चाहिए।

आकाशीय संकेतों के बाद दूसरा एलिय्याह संदेश
यह स्पष्ट है कि यूहन्ना का एलिय्याह संदेश दूसरे एलिय्याह संदेश पर लागू नहीं होता क्योंकि परमेश्वर के महान आकाशीय संकेत यूहन्ना द्वारा अपना संदेश प्रचारित करने के 1,700 वर्ष से भी अधिक समय बाद प्रकट हुए थे। योएल 2:31 का एलिय्याह संदेश 1833 में उन आकाशीय संकेतों के बाद शुरू होना था और लोगों को यीशु के दूसरे आगमन के लिए तैयार करना था। प्रकाशितवाक्य 14:6-14 का त्रिगुणात्मक वर्तमान सत्य संदेश बिल्कुल सही बैठता है। यह लगभग 1844 में शुरू हुआ और दुनिया भर के लोगों को यीशु के दूसरे आगमन (पद 14) के लिए तैयार कर रहा है, जो त्रिगुणात्मक संदेश के पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने के बाद होगा। (1844 की तिथि का विवरण अध्ययन मार्गदर्शिका 18 और 19 में दिया गया है।)

संदेश एक निर्णय की माँग करता है।
एलिय्याह ने ज़ोर देकर कहा कि बुराई का सीधा सामना किया जाए और सभी को यह तय करना होगा कि वे किसकी सेवा करेंगे। आज हमारे लिए परमेश्वर के त्रिगुणात्मक संदेश के साथ भी यही बात लागू होती है। एक निर्णय अवश्य लिया जाना चाहिए। परमेश्वर का त्रिगुणात्मक संदेश शैतान और उसकी योजनाओं का पर्दाफ़ाश करता है। यह परमेश्वर के प्रेम और उसकी अपेक्षाओं को प्रकट करता है। परमेश्वर आज लोगों को केवल परमेश्वर की सच्ची आराधना की ओर वापस बुला रहे हैं। इस निर्णायक दिन में जानबूझकर किसी और की या किसी और चीज़ की सेवा करना विश्वासघात के समान है और इसका परिणाम अनन्त मृत्यु होगा। एलिय्याह के दिनों में (1 राजा 18:37, 39) और यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के दिनों में परमेश्वर ने चमत्कारिक रूप से लोगों के हृदयों तक पहुँच बनाई। वह इन अंतिम दिनों में भी ऐसा ही करेंगे जब लोग तीन स्वर्गदूतों के संदेशों पर प्रतिक्रिया देंगे (प्रकाशितवाक्य 18:1-4)।

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14. एलिय्याह के संदेश (तीन स्वर्गदूतों के संदेश) का प्रचार करने से कौन-सी अद्भुत आशीष मिलेगी?

 

एलिय्याह ... माता-पिता का मन उनके पुत्रों की ओर और पुत्रों का मन उनके माता-पिता की ओर फेरेगा (मलाकी 4:5, 6)।

उत्तर:  परमेश्वर की स्तुति हो! एलिय्याह का संदेश या तीन स्वर्गदूतों के संदेश परिवार के सदस्यों को एक प्रेमपूर्ण, घनिष्ठ, आनंदमय, स्वर्गीय रिश्ते में एक साथ लाएँगे। क्या ही धन्य प्रतिज्ञा है!

15. सुसमाचार शब्द का अर्थ है शुभ समाचार। क्या

प्रकाशितवाक्य 14 में तीन स्वर्गदूतों के

संदेश शुभ समाचार देते हैं?

 

उत्तरः हाँ! आइए हम तीनों स्वर्गदूतों के संदेशों के इस अवलोकन में मिले अच्छे समाचार की समीक्षा करें:

क. प्रत्येक व्यक्ति को अंतिम दिन के सुसमाचार को सुनने और समझने का अवसर मिलेगा। किसी को त्यागा नहीं जायेगा।

 

ख. शैतान की लोगों को जाल में फंसाने और नष्ट करने की शक्तिशाली योजनाएँ हमें प्रगट की जाएंगी, इसलिए हमें फंसने की जरूरत नहीं है।

 

ग. इन अंतिम दिनों में परमेश्वर के संदेश के प्रचार के लिए स्वर्ग की शक्ति होगी।

घ. परमेश्वर के लोग धैर्यवान होंगे। वह उन्हें “संत” कहेगा।

ङ. परमेश्वर के लोगों के पास यीशु का विश्वास होगा।

च. परमेश्वर के लोग, प्रेम में, उसके आदेशों का पालन करेंगे।

च. परमेश्वर हमें इतना प्रेम करता है कि उसने हमें यीशु के दूसरे आगमन पर तैयार रहने के लिए विशेष संदेश भेजे हैं।

ज. परमेश्वर के संदेश इन अंतिम दिनों के लिए, परिवार के सदस्यों को प्रेम और एकता में एक साथ लाएंगे।

झ. तीन स्वर्गदूतों के संदेशों का मुख्य जोर यह है कि यीशु मसीह के माध्यम से सभी के लिए मुक्ति प्रदान की गई है। वह हमारे अतीत को ढाँपने के लिए अपनी धार्मिकता हमें देता है और चमत्कारी रूप से हमें प्रतिदिन अपना धार्मिकता प्रदान करता है, ताकि हम उसकी महिमा में आगे बढ़ें और उसके जैसे बन जाएँ। उसके साथ, हम असफल नहीं हो सकते हैं। उसके बिना, हम सफल नहीं हो सकते हैं।

अतिरिक्त शब्द

आने वाली अध्ययन संदर्शिकाओं में समझाए गए तीन स्वर्गदूतों के संदेशों के तीन तर्क हैं:

क. परमेश्वर के निर्णय का समय आ गया है!

ख. गिर चुके बाबुल से बाहर आएँ।

ग. पशु की छाप प्राप्त न करें।

भविष्य में अध्ययन संदर्शिकाओं में जब आप इन विषयों का प्रार्थनापूर्वक अध्ययन करेंगे तब अधिक अच्छे समाचार प्रकट किये जायेंगे। आप कुछ चीजों पर आश्चर्यचकित और आनंदित होंगे और, दूसरों पर चौंक जायेंगे और दुखी होंगे। कुछ मुद्दों को स्वीकार करना कठिन हो सकता है। लेकिन यीशु ने इन अंतिम दिनों में, हम में से प्रत्येक को सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए, स्वर्ग से विशेष संदेश भेजे हैं, इसलिए निश्चित रूप से प्रत्येक संदेश को सुनने, पूरी तरह से समझने और पालन करने से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता।

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16. क्या आप यह जानकर आभारी महसूस करते हैं कि पृथ्वी के इतिहास के इन अंतिम दिनों में यीशु के पास अपने लोगों का मार्गदर्शन करने और उनकी सहायता करने के लिए एक विशेष तीन-सूत्रीय संदेश है?

 

 

उत्तर:    

आप इसे कर सकते हैं! एक गहरी साँस लें और क्विज़ को पूरा करें।
आप अपने योग्य प्रमाणपत्र की ओर स्थिरता से बढ़ रहे हैं।

विचार प्रश्न

1. क्या यीशु के लौटने से पहले पृथ्वी पर हर व्यक्ति तक तीन स्वर्गदूतों के संदेश पहुँच जाएँगे? अब जब अरबों लोग जीवित हैं, तो यह कैसे संभव हो सकता है?

हाँ, ऐसा होगा क्योंकि परमेश्वर ने इसकी प्रतिज्ञा की है (मरकुस 16:15)। पौलुस ने कहा कि उसके समय में सुसमाचार आकाश के नीचे की हर सृष्टि तक पहुँचा (कुलुस्सियों 1:23)। परमेश्वर की कृपा से, योना 40 दिनों से भी कम समय में पूरे नीनवे शहर में पहुँच गया (योना 3:4-10)। बाइबल कहती है कि परमेश्वर इस कार्य को पूरा करेगा और इसे शीघ्र ही पूरा करेगा (रोमियों 9:28)। इस पर भरोसा रखें। यह बहुत जल्दी होगा!

2. क्या मूसा और एलिय्याह वास्तव में रूपांतरण के समय यीशु के साथ प्रकट हुए थे (मत्ती 17:3) या यह केवल एक दर्शन था?

यह घटना वास्तविक थी। यूनानी शब्द होरामा, जिसका अनुवाद पद 9 में दर्शन है, का अर्थ है जो देखा गया था। मूसा को मृतकों में से जी उठाया गया और स्वर्ग ले जाया गया (यहूदा 1:9), और एलिय्याह को मृत्यु देखे बिना ही स्वर्ग ले जाया गया (2 राजा 2:1, 11, 12)। ये दोनों व्यक्ति, जो पृथ्वी पर थे और शैतान के हमलों और परमेश्वर के लोगों के विद्रोह से भयंकर रूप से पीड़ित थे, समझ गए कि यीशु क्या अनुभव कर रहे थे। वे उन सभी को प्रोत्साहित करने और उन्हें याद दिलाने आए थे जो मृत्यु देखे बिना (एलिय्याह की तरह) उनके राज्य में स्थानांतरित किए जाएँगे और हमारे पापों के लिए उनके बलिदान के कारण (मूसा की तरह) कब्र से जीवित होकर उनके राज्य में प्रवेश करेंगे।

 

 

3. यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने यह क्यों कहा कि वह एलिय्याह नहीं था (यूहन्ना 1:19-21), जबकि यीशु ने कहा था कि वह एलिय्याह था (मत्ती 11:10-14)?

इसका उत्तर लूका 1:3-17 में मिलता है। यूहन्ना के आने वाले जन्म की घोषणा करने वाले स्वर्गदूत ने कहा, "तेरी पत्नी इलीशिबा तेरे लिये एक पुत्र जनेगी, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना।" ... वह प्रभु की दृष्टि में महान होगा। ... वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ्य में होकर उसके आगे-आगे चलेगा, ताकि 'पितरों का मन लड़के-बालों की ओर फेर दे', और आज्ञा न माननेवालों को धर्मियों की बुद्धि की ओर ले आए, और प्रभु के लिए एक योग्य प्रजा तैयार करे (पद 13-17)। जब यीशु ने यूहन्ना को एलिय्याह कहा, तो वह उसके जीवन, आत्मा, सामर्थ्य और कार्य को एलिय्याह के समान बता रहा था। यही बात इन अंतिम दिनों के एलिय्याह के संदेश के लिए भी सत्य है। यहाँ ज़ोर संदेश पर है, व्यक्ति पर नहीं। इसलिए यूहन्ना साक्षात् एलिय्याह नहीं था, बल्कि वह एलिय्याह का संदेश प्रस्तुत कर रहा था।

 

 

4. क्या किसी के लिए तीन स्वर्गदूतों के संदेशों को शामिल किए बिना आज के लिए यीशु के संपूर्ण अंत-समय के सत्य का प्रचार करना संभव है?

नहीं। तीन स्वर्गदूतों के संदेशों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, यीशु स्वयं अपने अंत-समय के संदेश (प्रकाशितवाक्य 1:1) को प्रकट करते हैं और कहते हैं कि उनके लोगों को पुस्तक में उनके द्वारा प्रकट की गई बातों का पालन करते रहना चाहिए (प्रकाशितवाक्य 1:3; 22:7)। इसलिए अंत के समय में विश्वासियों को प्रकाशितवाक्य की पुस्तक से यीशु के संदेशों का प्रचार करना चाहिए। इसमें, निस्संदेह, प्रकाशितवाक्य 14:6-14 के उनके विशेष तीन-सूत्रीय संदेश का प्रचार करना शामिल है। ध्यान दें कि यीशु इन संदेशों को पद 6 में सनातन सुसमाचार कहते हैं। वह यह भी कहते हैं कि अपने लोगों के लिए उनके लौटने से पहले इन्हें पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाया जाना चाहिए। यहाँ तीन गंभीर विचार हैं:

उत्तर: कोई भी व्यक्ति वास्तव में यीशु के अनन्त सुसमाचार का प्रचार नहीं कर रहा है जब तक कि वह तीन स्वर्गदूतों के संदेशों को शामिल न करे।

B. किसी को भी अपने संदेशों को शाश्वत सुसमाचार कहने का अधिकार नहीं है यदि वह तीन


स्वर्गदूतों के संदेशों को छोड़ देता है।

ग. तीन स्वर्गदूतों के संदेश लोगों को यीशु के दूसरे आगमन के लिए तैयार करते हैं (प्रकाशितवाक्य 14:12-14)। जब तक आप यीशु के अंतिम समय के तीन-सूत्रीय संदेशों को नहीं सुनेंगे, समझेंगे और स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक आप उनके दूसरे आगमन के लिए तैयार नहीं हो सकते।

अंतिम समय के लिए विशेष संदेश:

यीशु, जो जानते हैं कि हमें क्या चाहिए, ने हमें अंतिम समय के लिए तीन विशेष संदेश दिए हैं। हमें उन्हें समझना और उनका पालन करना चाहिए। अगली आठ अध्ययन मार्गदर्शिकाएँ इन संदेशों को स्पष्ट करेंगी।

5. लूका 1:17 कहता है कि एलिय्याह का संदेश अवज्ञाकारियों को धर्मियों की बुद्धि की ओर मोड़ने के लिए था। इसका क्या अर्थ है?

धर्मी लोग विश्वास से जीवित रहेंगे (रोमियों 1:17)। धर्मियों के पास उद्धारकर्ता पर विश्वास करके अपने उद्धार का आधार रखने की बुद्धि है। न ही किसी दूसरे के द्वारा उद्धार है, क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें (प्रेरितों के काम 4:12)। यूहन्ना का एलिय्याह का संदेश इसे सभी के लिए स्पष्ट करने के लिए था। यीशु मसीह के अलावा किसी और व्यक्ति या वस्तु पर आधारित विश्वास कभी भी पाप से नहीं बचा सकता और न ही एक परिवर्तित जीवन की ओर ले जा सकता है। लोगों को इसे सुनना और समझना चाहिए। यह सत्य आज हमारे लिए परमेश्वर के तीन-सूत्रीय एलिय्याह संदेश का मूल है।

अत्यावश्यक सत्य!

आपने तीन स्वर्गदूतों का सन्देश सुना है—यीशु के लौटने से पहले परमेश्वर की अंतिम पुकार। इसे दूसरों तक पहुँचाइए!

अब आगे बढ़िए पाठ #17: परमेश्वर ने बनाई योजना —देखिए कैसे पवित्रस्थान आपका उद्धार का मार्ग प्रकट करता है।

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